तेरा वो नज़रें मिलाके
नजरें चुरा जाना
फिर तेरी नज़रों में
समंदर का उमड़ आना
और उनका धीरे से
सहमे लफ़्ज़ों में कहना
मुझे इस तरह से
न देखो मेरी जान !!!
इस तरह बेबस
न करो मुझको
तेरे इश्क के तूफ़ान में
मेरे दिल कि कश्ती
जाने कहाँ बही जाती है
फिर मेरी पलकें बेबस
इक लम्हा बंद हो जाती हैं
मानो कह रही हो
के बहना ही है अब
तो चल साथ बहें
मैं तेरी नज़रों में
और तू मेरी नज़रों में बहे
और फिर तेरे लबों पे
जो इक कली सी खिलती है
उफ़ ... वो मंज़र
याद आता है ...
- 'अर्श'
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