Dayaar-e-Arsh
दयार-ए-अर्श
Sunday, September 7, 2008
मिसालों में शिद्दत बयां नहीं कर सकता
मिसालों में शिद्दत बयां नहीं कर सकता
कम
प्यार
तुझे मैं कर नही सकता
सागर भी पशेमां है कि डूबा बच जाता है
इश्क में डूबे को कोई
बचा
नही
सकता
नापूं
तो
आख़िर
किस्से
ऊँचाई तेरी
'
अर्श
'
से
ऊँचा
तो
कुछ
बता
नही
सकता
-अर्श
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मिसालों में शिद्दत बयां नहीं कर सकता
और लोग कहते हैं तन्हाई है ... !!!
ये रंज-ओ-ग़म तो मेरे साथी हैं
दो दिन तुम्हारे इंतज़ार में ये फूल ...
आज सुबह आँखें खोली तो ...
तुझसे तेरी तसवीर अच्छी है
ग़म और नहीं, एक ही काफ़ी है
निकला हूँ आज फ़िर यही ख्वाब लेके
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