Tuesday, April 2, 2019

एहसास

कल रात ख़्वाबों की बारिश हुयी लगता है
या फिर कोई सिरहाने रख कर छोड़ गया
ये मुस्कान कैसी
जायका अभी तक उतरा नहीं होटों से
तेरे रंग का
दोपहर हुयी अजब सी सर्द सी
मानो तू कह रही हो ... सो जाओ
आँखें बेबस बंद हुए जाती हैं
कह रही हैं की फ्रेम कर लो
ये ख्याल ...
के जो तेरी मुस्कान से मिल गयी मेरी
न जाने क्यों सब मुकम्मल लगता है